देश के बहुचर्चित कानपुर देहात के बेहमई कांड पर 38 साल बाद आएगा कल फैसला , मिल सकता है नरसंहार पीड़ितों को न्याय

देश के बहुचर्चित कानपुर देहात के बेहमई कांड पर 38 साल बाद आएगा कल फैसला , मिल सकता है नरसंहार पीड़ितों को न्याय


 


यूपी के जनपद कानपुर देहात का एक ऐसा गाँव जहाँ   आज भी गाँव का नाम लेते ही वहां के लोग डर के मारे कांप उठते है यहाँ दस्यु सुंदरी फूलन देवी और उनके गैंग ने दिन दहाड़े 20 लोगो को एक लाइन में खड़ा करके गोली मारकर हत्या कर दी थी उस समय का मंजर देख वहां के लोग आज भी खौफजदा और दहशत में रह रहे है.वही.इस घटना के बाद प्रदेश और देश की राजनीति में भूचाल मच गया था । उसी समय यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था । घटना के बाद बेहमई कांड का मुकदमा राजाराम सिंह ने सिकन्दरा थाने में दर्ज कराया था जिसके बाद कानपुर देहात कोर्ट में मुकदमा चल रहा है 38 सालो से बेहमई कांड पर सुनवाई चल रही है  बेहमई कांड के पीड़ितो को इंतजार है कल के दिन का कि जब इस कांड से जुड़े आरोपियो को सजा मिले और नरसंहार पीड़तों को न्याय मिले। 38 सालो से बेहमई गाँव के लोग  न्याय के इंतजार में है । कानपुर देहात कोर्ट 6 जनवरी को इस पर फैसला सुनाएगी बेहमई गाँव के लोग इस फैसले पर टकटकी लगाए बैठे है 


 कानपुर देहात के बेहमई गाँव में 14 फरवरी 1981 को देश का सबसे बहुचर्चित नरसंहार कांड हुआ था इस कांड में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने अपने गैंग के कई साथियों के साथ बेहमई गाँव में धावा बोला था और 20 लोगो को एक लाइन में खड़ा कर के दिन दहाड़े गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था जिसमे एक युवक गोली लगने से घायल हो गया था । बेहमई  कांड के इस मामले की सुनवाई 38 सालो से जनपद न्यायालय कानपुर देहात कोर्ट के दस्यु प्रभावित डकैती कोर्ट में चल रही है जहाँ 38 सालो से इस केश से जुड़े कई आरोपियो की मौत हो चुकी है कई फरार चल रहे है जबकि एक आरोपी जेल में है तो वही कई गवाहों की भी मौत हो चुकी है। तो वही देश के बहुचर्चित बेहमई कांड का फैसला 38 साल बाद कल आ रहा है जनपद न्यायालय में दस्यु प्रभावित डकैती कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगी,,  वही बेहमई नरसंहार पीड़ित न्याय के लिये 38 वर्षों से आस लगाए बैठे है 


 वही बेहमई कांड के मुख्य वादी राजाराम सिंह ने कहा कि फूलन देवी और उनके गैंग ने  गांव में नरसंहार किया था इन सभी लोगो को कठोर सजा मिलनी चाहिये हम तो न्यायालय से आस लगाए है वो जो भी फैसला करे । पुलिस कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते है मानसिंह , विश्वनाथ उर्फ़ पुतानी अब तक कोर्ट में हाजिर ही नही हुए रतीराम 3 माह बाद कोर्ट से जमानत लेकर फरार है न्यायालय में लंबे अन्तराल तक मामला चलने पर हमें खतरा समझ में आ रहा है ये बागी लोग है कभी भी धोखा कर सकते है कई बार इनको पकड़ने के लिये वारंट निकलवाये लेकिन अब तक पुलिस ने गिरफ्तार नही किया शासन और प्रसाशन पर ढिलाई करने का आरोप लगाया साथ ही कहा कि अगर शासन प्रशासन चाह लेता तो ये सभी जेल में होते फ़िलहाल कोर्ट के फैसले का पूरा भरोषा करते है


वही बेहमई कांड के मुख्य गवाह जन्टर सिंह ने इस फैसले पर निराशा जताते हुए बताया कि अब इस फैसले का क्या मतलब है दो या तीन आरोपी बचे है जो अभी भी फरार है जिनको पूर्व की सपा सरकार का पूरा संरक्षण रहा है मेंन आरोपी मानसिंह सपा सरकार में यही बना रहा जिसको पुलिस ने टच नही किया नेतागिरी भी करता रहा 38 साल बाद अब फैसले का कोई मतलब नही


 


वही ग्राम प्रधान दिनेश चंद्र मिश्रा की माने तो 14 फरवरी 1981 को बेहमई नरसंहार हुआ था। जिसमे दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने अपने साथियों के साथ मिलकर बेहमई के 20 लोगो को एक साथ दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना ने यूपी ही नहीं पूरे देश को हिला दिया था घटना के 38 साल तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला और अब जब न्याय मिलने का समय आया तो इस घटना के आरोपी गुनहगार लोगो को ईश्वर ने हीं पहले सजा दे दी है। अब न्यायालय किन्हे सजा सुनाएगा और पीड़ित परिवार को क्या नाम मिलेगा। साथ ही उन्होंने 38 साल बाद आने वाले इस फैसले को लेकर न्याय प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है।


 


वहीं सरकारी वकील की माने तो जब से उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया तो उन्होंने एक चार्ट बनाकर इस मामले की पैरवी की। जिसका नतीजा यह है कि 6 जनवरी को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित न्यायालय द्वारा इस मामले पर फैसला सुनाया जाएगा। वही उन्होंने देरी से आने वाले इस फैसले पर कहा कि पूर्व की सरकार की कुछ नीतियों की वजह से इस मामले में देरी हुई है। लेकिन देर से ही सही अब पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा। क्योंकि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत है।



वहीं बचाव पक्ष के वकील की माने तो जिनको पुलिस ने आरोपी बनाया है उन लोगों के खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है लेकिन न्यायालय का जो भी फैसला होगा वह मान्य होगा।